
🚨 मुंब्रा ट्रेन हादसा : लोकल ट्रेन हादसे में 4 की दर्दनाक मौत, कई घायल
घटना का समय और जगह
मुंब्रा रेलवे स्टेशन दुर्घटना
9 जून 2025 की सुबह लगभग 9:11 बजे, ठाणे के पास मुंब्रा स्टेशन के पास एक तेज रफ्तार से जा रही लोकल ट्रेन, जिसमें बहुत ज़्यादा भीड़ थी।
इस ट्रेन में यात्री दरवाज़ों से लटककर यात्रा कर रहे थे, क्योंकि अंदर जगह नहीं थी और भीड़बहुत ज़्यादा थी।
इसी दौरान दो ट्रेनें पास-पास गुज़र रही थी और यात्रियों की भागदौड़ की वजह से भीड़ संभल नहीं पाई। सामने से आ रहे बैग या शरीर टकराने से कम से कम आठ यात्री ट्रेन से नीचे गिर गए। दूसरे लोगों ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके।यह दृश्य सभी लोगों के लिए भयावह था।
🧍 यात्रियों, पुलिसकर्मी और दुख की गाथा
मुंब्रा ट्रेन हादसा मृतकों में एक ठाणे GRP पुलिस कांस्टेबल विक्की मुखाडळ (34 वर्ष) भी थे, जो रात की ड्यूटी करने के बाद वापस घर लौट रहे थे।उनके साथ अन्य तीन यात्री भी मौजूद थे — केतन सरोज, मयूर शाह और राहुल गुप्ता। ये लोग भी वहां थे।
विक्की के दोस्त और परिवार के सभी लोग सदमे में हैं।
अधिकारी और साथी इंस्पेक्टर उन्हें “कर्तव्यनिष्ठ” बताते हैं, जिनकी कमी अमर रहेगी।
दो लोग गंभीर हालत में हैं, जिन्हें कलवा अस्पताल और जुपिटर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
🧭 दुर्घटना कैसे हुई
मुंब्रा ट्रेन हादसा प्रत्यक्षदर्शियों और यात्री टीओआई रिपोर्टों के अनुसार:
Diva–Muumbra रूट पर दो तीव्र निकटवर्ती curvas हैं — इनमें से एक स्टेशन के पास ही है, जिससे ट्रेन में तेज झटके लगते हैं और भीड़ का संतुलन बिगड़ता है ।
ये झटके footboard पर चढ़े यात्रियों को पटरी पर गिरा देते हैं।
कुछ लोग दरवाज़े के बाहर की ओर झुककर खड़े थे। उसी समय एक दूसरी ट्रेन तेज़ी से बगल से गुजरती है, जिसके कारण वे लोग दोनों ट्रेनों के बीच में फंसकर घिस जाते हैं और सभी नीचे गिर जाते हैं।
एक commuter Riyaz Ahmed Shaikh ने इस संवेदनशील यात्रा मार्ग को “death trap” बताया, जहां footboard पर चढ़ना आम बात है। उन्होंने बताया कि एक तीखा मोड़ ट्रेन को झुकाता है, जिससे footboard वाले यात्रियों का संतुलन बिगड़ जाता है।
📣 सार्वजनिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया-मुंब्रा ट्रेन हादसा
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को दुःखद बताया और मृतक परिवारों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा कीtimesofindia.indiatimes.com+2livemint.com+2timesofindia.indiatimes.com+2।
Deputy CM एकनाथ शिंदे ने सरकार की ओर से एक जांच शुरू करने के निर्देश दिए ।
विपक्ष ने रेलवे मंत्री और राज्य सरकार के खिलाफ अत्यधिक ट्रैफिक एवं बुनियादी ढांचा के अभाव पर निशाना साधा, और इस्तीफे की माँग उठाई। MNS, कांग्रेस सहित कई दलों ने इस ढुलमुल व्यवस्था पर ग़ुस्सा जताया ।
🛡️ सुधार – बॉम्बे लोकल सिस्टम में नई पहल
मुंब्रा ट्रेन दुर्घटना के चलते रेलवे सरकार ने कुछ बदलाव घोषित किए हैं —
सभी नॉन-एसी लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाज़े लगाने का निर्णय लिया गया है।
इस तकनीक में रूफ-माउंटेड वेंटिलेटर और वेस्टिब्यूल कनेक्टर्स भी शामिल होंगे, ताकि ट्रेनों के अंदर हवा का प्रवाह बना रहे और यात्री बेहतर अनुभव प्राप्त करें।
इसके अलावा, एसी लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर 238 की जाएगी, जिससे भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और सफर अधिक सुरक्षित व आरामदायक बन सके।
क्या आप इन फैसलों से सहमत हैं? कृपया कमेंट करें।
🔚 निष्कर्ष
मुंब्रा ट्रेन हादसा सिर्फ एक दुखद दुर्घटना नहीं, बल्कि हमारी स्थानीय ट्रेन व्यवस्था में गहरे सुधार की ज़रूरत को दर्शाता है।
चालानी चिंताएँ:
फुटबोर्ड पर लोगों का खड़े रहकर यात्रा करना बेहद खतरनाक है, इसलिए इसके लिए सुरक्षा उपाय निकालना ज़रूरी है।
सरकार को सुरक्षा संबंधी शिकायतों पर ध्यान देना चाहिए।
सरकारी कदम सराहनीय:
Automatic doors से सुरक्षा बढ़ेगी
Overcrowding पर नियंत्रण से भविष्य में हादसे रोकना संभव
लेकिन रेलवे और राज्य सरकार को मिलकर प्रयास करने चाहिए, ताकि ऐसे घातक मोड़, जहाँ दुर्घटना की संभावना अधिक होती है, उन्हें प्रमुख रूप से सुधारा जा सके।
साथ ही यात्रियों की जागरूकता बढ़ाई जाए और ट्रेनों की गति को नियंत्रित किया जाए।